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डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को अमेरिका के लिए “लिबरेशन डे” घोषित किया, जिसे वे टैरिफ से मुक्ति का दिन कहते हैं। इस मौके पर उन्होंने नए टैरिफ रेट्स की घोषणा की और राष्ट्रीय आपातकाल भी लागू कर दिया। यह भारत के आपातकाल जैसा नहीं है, जहां अधिकार छीन लिए जाएं, बल्कि यह ट्रंप को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ज्यादा फैसले लेने की ताकत देता है। इससे पहले 20 जनवरी को भी ऐसा ऐलान हुआ था। टैरिफ को लेकर दुनिया भर में चर्चा है कि इसका असर क्या होगा। भारत में शेयर बाजार उतना नहीं गिरा, जितना डर था। कहा जा रहा है कि सेमीकंडक्टर, टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर को राहत मिली है, लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? पिछले 5 महीनों से बाजार गिर रहा है, और ट्रंप का टैरिफ इसका एक छोटा हिस्सा ही है। भारत पर इसका पूरा असर समझने में वक्त लगेगा।

ट्रंप का टैरिफ कार्ड: क्या है माजरा?

ट्रंप ने टैरिफ की घोषणा बड़े तामझाम के साथ की। “मेक अमेरिका वेल्थी अगेन” नाम के इवेंट में वे विजेता की तरह आए, जहां लोग उनका इंतजार कर रहे थे। उनके हाथ में एक बड़ा टैरिफ कार्ड था, जिस पर लिखा था कि किस देश पर कितना टैरिफ लगेगा। भारत के अखबारों में छपा कि सेमीकंडक्टर, फार्मा और एनर्जी प्रोडक्ट्स को छूट मिली है। लेकिन ट्रंप ने भारत का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, “मोटरसाइकिल पर अमेरिका सिर्फ 2.4% टैरिफ लगाता है, जबकि भारत अमेरिकी मोटरसाइकिल पर 70% टैरिफ लगाता है। थाईलैंड 60%, वियतनाम 75% और कुछ देश इससे भी ज्यादा वसूलते हैं।” ट्रंप का सवाल है कि यह नाइंसाफी क्यों?

भारत पर 26% टैरिफ लगा है, जबकि चीन पर 34% और वियतनाम पर 46%। क्या यह भारत के लिए राहत है? या सिर्फ हेडलाइन मैनेजमेंट? टैरिफ इतना सीधा नहीं है। हर देश आपस में जुड़ा है। अगर चीन के किसी सेक्टर पर असर पड़ा और भारत उस पर निर्भर है, तो भारत को भी नुकसान हो सकता है। इसे सिर्फ “भारत बच गया, चीन फंस गया” कहकर नहीं देखा जा सकता।

टैरिफ का ग्लोबल खेल

ट्रंप ने 25 देशों पर टैरिफ लगाया, और यूरोपीय संघ (ईयू) के 27 देशों को जोड़ें तो यह संख्या 50 से ज्यादा हो जाती है। सभी देश अब जवाबी टैरिफ पर सोच रहे हैं। कुछ अध्ययन कहते हैं कि अगर टैरिफ की होड़ बढ़ी, तो दुनिया 1930 की महामंदी जैसे हालात में पहुंच सकती है। अमेरिका में बहस है कि इससे उसका बाजार खत्म हो जाएगा, लेकिन ट्रंप मानते हैं कि फैक्ट्रियां खुलेंगी, नौकरियां बढ़ेंगी। उनका तर्क है कि अगर कंपनियां टैरिफ से बचना चाहती हैं, तो अमेरिका में प्रोडक्शन करें। लेकिन क्या यह इतना आसान है? क्या कंपनियां अपने देश छोड़कर अमेरिका जाएंगी? और भारत जैसे देशों के युवाओं और राजस्व का क्या होगा?

ट्रंप ने सभी देशों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया। चीन पर अलग-अलग श्रेणियों में कुल 54% तक टैरिफ है। वे कहते हैं, “अमेरिका में प्रोडक्ट बनाओ, तो कोई टैरिफ नहीं।” उनका दावा है कि कंपनियां पहले से ही अमेरिका आ रही हैं। लेकिन क्या सब कुछ वैसा होगा जैसा ट्रंप चाहते हैं?

भारत पर नजर

भारत पर 26% टैरिफ लगा है। ट्रंप ने कहा, “भारत और जापान टैरिफ में सख्त हैं। पीएम मोदी मेरे दोस्त हैं, लेकिन वे हमारे साथ सही नहीं कर रहे। भारत हम पर 52% टैरिफ लगाता है, जबकि हमने दशकों तक उनसे कुछ नहीं लिया।” वे इसे अनुचित मानते हैं। लेकिन भारत की सरकार इस पर चुप है। लोग पूछ रहे हैं कि मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं कर रहे? वाणिज्य मंत्रालय ने बस एक बयान दिया कि “हम अध्ययन कर रहे हैं, स्टेकहोल्डर्स से बात कर रहे हैं।” लेकिन जनता को विस्तार से कुछ नहीं बताया जा रहा।

जब ट्रंप टैरिफ की बात कर रहे थे, भारत के मंत्री लोकसभा में वक्फ बिल पर बहस में व्यस्त थे। टैरिफ जैसे बड़े मुद्दे पर कोई नहीं बोला। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पहले से कमजोर है, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत नारे बनकर रह गए हैं। ट्रंप का “आत्मनिर्भर अमेरिका” भारत को कैसे प्रभावित करेगा, यह कोई नहीं बता रहा।

दुनिया की प्रतिक्रिया

चीन ने कहा, “हम टैरिफ का विरोध करते हैं और जवाबी कदम उठाएंगे।” जापान के पीएम इशिबा बोले, “इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।” ईयू कमीशन के अध्यक्ष ने इसे “दुनिया के लिए झटका” बताया। कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने जवाबी उपायों की बात की। ब्रिटेन के पीएम केयर स्टारमर बोले, “व्यापार युद्ध में कोई नहीं जीतता।” लेकिन भारत चुप है। ट्रंप के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने फॉक्स न्यूज पर कहा, “सब इसे स्वीकार करें, जवाबी कार्रवाई की तो टैरिफ बढ़ेगा।” भारत के मंत्री इसका जवाब क्यों नहीं दे रहे?

बाजार पर असर

ट्रंप के ऐलान के दिन अमेरिकी बाजार गिरा—डाउ जॉन्स 900 अंक नीचे, नैस्डैक फ्यूचर्स 4.7% नीचे। भारत में सेंसेक्स 300 अंक गिरा, ऑटो स्टॉक्स में 1% की गिरावट आई। जापान का निक्केई 3% नीचे था। ट्रंप कहते हैं, “पहले चुनाव के बाद बाजार बढ़ा था,” लेकिन इस बार उल्टा हुआ।

क्या हो रहा है?

ट्रंप का टैरिफ संरक्षणवाद की वापसी है। वे कहते हैं, “शुरुआती झटके लगेंगे, लेकिन फायदा होगा।” लेकिन दुनिया पूछ रही है—क्या यह 1930 की महामंदी की ओर ले जाएगा? भारत में सरकार की चुप्पी सवाल उठा रही है। क्या यह राहत है या सिर्फ खबरों का खेल? जवाब का इंतजार है।

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