Sat. Jun 28th, 2025

6 अप्रैल, 2025

वैश्विक व्यापार में एक बड़ा बदलाव आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को “मुक्ति दिवस” घोषित किया है, जिसे वे अंतरराष्ट्रीय टैरिफ से आजादी का दिन कहते हैं। उनकी नई नीति में जवाबी टैरिफ लगाए गए हैं—यानी दूसरे देश अमेरिकी सामानों पर जितना टैक्स लगाते हैं, उसके आधार पर अमेरिका भी टैक्स लगाएगा, लेकिन अक्सर आधे दर पर। इससे दुनिया भर में हलचल मच गई है—कुछ देश नाराज हैं, तो कुछ सावधानी से देख रहे हैं। तो ये सब क्या है, और भारत का इसमें क्या रोल है? इसे आसान भाषा में समझते हैं।

टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ को सीधे शब्दों में समझें—ये सामान पर लगने वाला टैक्स है जो देशों के बीच आयात-निर्यात के दौरान लगता है। मान लीजिए, भारत एक कार अमेरिका भेजता है जिसकी कीमत 10,000 डॉलर है। अगर अमेरिका 10% टैरिफ लगाता है, तो वह कार वहां 11,000 डॉलर की हो जाएगी। इससे भारतीय सामान महंगा हो जाता है, और लोग उसे कम खरीदते हैं। जवाब में, भारत अमेरिकी मोटरसाइकिल पर 70% टैरिफ लगा सकता है—यानी 1,000 डॉलर की बाइक भारत में 1,700 डॉलर की हो जाएगी। ट्रंप का प्लान यही है—जो आप हमारे साथ करते हैं, हम भी आपके साथ करेंगे, लेकिन थोड़ा कम।

उदाहरण के लिए, चीन अमेरिकी सामानों पर 67% टैरिफ लगाता है, तो ट्रंप ने 34% का जवाब दिया। यूरोपीय संघ का 39% टैरिफ है, तो अमेरिका ने 20% लगाया। वियतनाम का 90% है, तो 46% मिला। भारत अमेरिकी सामानों पर 52% लगाता है, तो अब उसे 26% का अमेरिकी टैरिफ झेलना पड़ेगा। ब्रिटेन का 10% है, तो अमेरिका ने भी 10% ही रखा। ट्रंप इसे “छूट वाला” टैरिफ कहते हैं।

ट्रंप ऐसा क्यों कर रहे हैं?

ट्रंप का कहना है कि चीन जैसे देशों ने अमेरिका में सस्ता सामान बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था बनाई, लेकिन ऊंचे टैरिफ से अमेरिकी सामानों को अपने यहां रोका। “चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की वजह से बना,” वे कहते हैं। उनका हल? आयात को इतना महंगा कर दो कि कंपनियां अमेरिका में ही सामान बनाएं, जिससे नौकरियां बढ़ें। हां, इससे चीजें महंगी हो सकती हैं—1 डॉलर का अंडा 2 डॉलर का हो सकता है—लेकिन ट्रंप कहते हैं, “ये मेरी समस्या है, तुम्हारी नहीं।” शेयर बाजार गिर सकता है, पर वे मानते हैं कि ये सही कदम है। “मेरा काम चीन को पालना नहीं है,” उनका तर्क है।

दुनिया का क्या रिएक्शन है?

हर कोई खुश नहीं है। चीन गुस्से में है, कह रहा है कि अमेरिका “एकतरफा टैरिफ” हटाए और बातचीत करे। ऑस्ट्रेलिया कहता है कि अमेरिकी ग्राहक परेशान होंगे। जापान को रिश्तों की चिंता है, और ब्रिटेन हर स्थिति के लिए तैयार है। लेकिन भारत? वो शांत है। भारत का वाणिज्य मंत्रालय कहता है, “ये मिला-जुला असर है, कोई बड़ा झटका नहीं।” जहां बाकी देश शोर मचा रहे हैं, भारत कह रहा है, “कोई दिक्कत नहीं, हम संभाल लेंगे।”

भारत के लिए क्या मायने?

भारत अमेरिकी सामानों पर 52% टैरिफ लगाता है, तो ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 26% टैरिफ ठोंक दिया। सिटी रिसर्च की रिपोर्ट कहती है कि इससे भारत को सालाना 7 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। लेकिन 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में, जो 2030 तक 5 ट्रिलियन की ओर बढ़ रही है, 7 अरब ज्यादा बड़ी बात नहीं। साथ ही, भारत का अमेरिकी निर्यात उसकी जीडीपी का सिर्फ 2.2% है—वियतनाम (25%) या ताइवान (14%) से कहीं कम। ये नुकसान झेला जा सकता है।

भारत की चतुर रणनीति

भारत शिकायत करने की बजाय समझदारी दिखा रहा है। वो अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौता कर रहा है, जिससे दोनों देशों का व्यापार 190 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 500 अरब डॉलर हो जाए—यानी ढाई गुना से ज्यादा। सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पहला चरण पूरा करने की योजना है। कैसे? भारत अमेरिका से ज्यादा सामान खरीदेगा—जैसे लड़ाकू विमान, तेल, गैस, और मेडिकल उपकरण—और अमेरिकी कंपनियों को “मेक इन इंडिया” के लिए लुभाएगा। ये वही तरीका है जो भारत ने टेस्ला से कहा था: “यहां बनाओ, वरना ऊंचा टैरिफ दो।”

भारत गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में टैक्स छूट और जमीन की आसान पहुंच दे रहा है, खासकर हाई-टेक क्षेत्रों जैसे सेमीकंडक्टर, विमान पार्ट्स, और हरित ऊर्जा के लिए। और एक तुरुप का पत्ता है—सस्ती दवाएं, जिन्हें अमेरिका ने टैरिफ से छूट दी है ताकि वहां स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती रहें।

अमेरिकी सप्लाई चेन में शामिल होना

भारत सिर्फ नुकसान से बच नहीं रहा—वो अमेरिका की सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका चाहता है। अमेरिकी तेल, गैस, और लड़ाकू विमानों की खरीद से वो 7 अरब का नुकसान पूरा करेगा। साथ ही, भारत खुद को चीन के विकल्प के रूप में पेश कर रहा है, कह रहा है, “आप सब कुछ अमेरिका में नहीं बना सकते, हमें मौका दो।” जैसे ऐपल भारत में आईफोन बना रहा है, वैसे ही और बड़े मौके हैं।

क्या होगा आगे?

ट्रंप का टैरिफ दांव जोखिम भरा है—अल्पकाल में कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन लंबे समय में अमेरिका को फायदा हो सकता है। भारत के लिए ये बस एक छोटी रुकावट है, कोई बड़ी मुसीबत नहीं। मजबूत अर्थव्यवस्था और चतुर रणनीति के साथ, भारत इसे मौके में बदल रहा है। जहां बाकी देश चिंता कर रहे हैं, भारत कह रहा है, “कोई बात नहीं, हम संभाल लेंगे।” ट्रंप ने भी संकेत दिया कि भारत शायद अपने टैरिफ कम करे—अगर ऐसा हुआ, तो दोनों की जीत होगी।

इस व्यापार कहानी पर नजर रखें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *